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MAN'S MOST COMMON SIN............

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  MAN'S MOST COMMON SIN............ Most people in the world are sad or they are unhappy with their lives.... because they are not getting what they want from life. But, tell me something....has life signed an agreement with you to always give you what you want? To make your life a bed of roses with no thorns? NO . Whatever you want out of your life, be it success, fulfillment of dreams, or anything else for that matter....YOU have to earn it yourself. When you don't get it, when things aren't going the way you want them to, yes, you ARE allowed to feel sorry for yourself, to cry if you want to but you ARE NOT allowed to continue dwelling on the failures without taking any actual lesson from it and moving on, focusing on future goals.In these dire times, where the world is filled with negativity, we STILL HAVE TO focus on the future and try to devise ways to fill it with positivity. Saying that God will fix it all is nothing but an excuse for cowards who are too afraid to t

Decoding Shiva Lingam by Ramapada Acharjee

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  Decoding Shiva Lingam A lingam in Sanskrit means a sign, symbol or mark. "Lingam" is additionally found in Sanskrit texts, such as Shvetashvatara Upanishad, and others texts with the meaning of "evidence, proof" of God and God's existence. For any sign we need to - 1. Understand the correct meaning of that and 2. We should avoid making too many convoluted meanings which may cover the simple straight message or the actual meaning of the symbol. Any attempt of performing rituals while being ignorant of this inherent message will do no good to the people. Pouring water or milk on Linga won't bear fruit unless we are aware of its significance. Shiva Linga is a Sign of both Nirakar (formless) Brahman that supports the entire Universe and the Sakar Swaguna Brahman. Atharva Veda refers to pillars, which can hold or fortify any structure. A pillar symbolizes the existence of the ultimate Truth or formless Brahman (nirakar Bhramha). In a sense a pil

রুদ্রাক্ষ

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  সমস্যা দূরীকরণে রুদ্রাক্ষ একটি অপরিহার্য প্রতিকার। কোন সমস্যার জন্য কোন রুদ্রাক্ষ ধারণ করবেন সেটা সঠিকভাবে জানাটা ভীষণভাবে দরকার। যেকোনো বিষয়ে জ্যোতিষ সহায়তার জন্য যোগাযোগ করুন: Call us +91 9874954063 Email us ramapadaji@gmail.com For consultation visit our website http://ramapada.com/ .

सर्मपण और अहंकार

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  * सर्मपण और अहंकार * *पेड़ की सबसे ऊँची डाली पर लटक रहा नारियल रोज नीचे नदी मेँ पड़े पत्थर पर हंसता और कहता।* *" तुम्हारी तकदीर मेँ भी बस एक जगह पड़े रह कर, नदी की धाराओँ के प्रवाह को सहन करना ही लिखा है, देखना एक दिन यूं ही पड़े पड़े घिस जाओगे।* *मुझे देखो कैसी शान से उपर बैठा हूं? पत्थर रोज उसकी अहंकार भरी बातोँ को अनसुना कर देता।* *समय बीता एक दिन वही पत्थर घिस घिस कर गोल हो गया और विष्णु प्रतीक शालिग्राम के रूप मेँ जाकर, एक मन्दिर मेँ प्रतिष्ठित हो गया ।* *एक दिन वही नारियल उन शालिग्राम जी की पूजन सामग्री के रूप मेँ मन्दिर मेँ लाया गया।* *शालिग्राम ने नारियल को पहचानते हुए कहा " भाई . देखो घिस घिस कर परिष्कृत होने वाले ही प्रभु के प्रताप से, इस स्थिति को पहुँचते हैँ।* *सबके आदर का पात्र भी बनते है, जबकि अहंकार के मतवाले अपने ही दभं के डसने से नीचे आ गिरते हैँ।* *तुम जो कल आसमान मे थे, आज से मेरे आगे टूट कर, कल से सड़ने भी लगोगे, पर मेरा अस्तित्व अब कायम रहेगा।* . *भगव

About medical astrology

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                                                                About medical astrology It is the method using which we can find the diseases one can have according to their horoscopes. Once we have found which diseases one is going to probably suffer from our next step is to finding the timing of it, when one is going to suffer from that disease, and in the end, because Astrology is a super science we can use astrological elements related to planet to remedy the diseases as well. This way astrology becomes very useful for people as it will help forecast disease and will also help in remedying it. In this forthcoming course I am going to teach all this, which diseases one is supposed to have, when those diseases will occur and lastly how to remedy those diseases as well. This is a complete course useful for common people as well as those who wish to practise astrology as consultants or teachers. Don’t miss this golden opportunity to learn medical astrology live with me, where you lear
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*शरीर में गर्माहट बनाए रखने के लिए इन 7 चीजों का करें सेवन* *1. गुड़ -* सर्दी में जुकाम और खांसी होने पर गुड़ का काढ़ा पिलाया जाता है, क्योंकि य ‍ ह शरीर को गर्माहट देता है। रोजाना गुड़ का सेवन करते रहने पर आपको सर्दी के दुष्परिणाम नहीं झेलने पड़ेंगे। *2. काली मिर्च -* इन दिनों में काली मिर्च को अपनी डाइट में शामिल करें। चाहें तो सूप, सलाद और स्प्राउट के साथ या फिर लाल मिर्च की जगह खाने में इसे शामिल करें। *3. हल्दी -* सर्दी से बचने के लिए यह भी औषधी के रूप में प्रयोग की जाती है। आप हल्दी का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा कीजिए और शरीर में गर्माहट बनाए रखिए। यह एंटीबायोटिक का काम भी करेगी। *4. लहसुन -* लहसुन एक बेहतरीन एंटीबायोटिक होने के साथ-साथ सर्दी-जुकाम में प्रयुक्त होने वाली औषधी भी है। ठंड के दिनों में लहसुन की चटनी, सब्जी बनाई जा सकती है। *5. मेथी -* मेथी दाने से बनाए जाने वाले लड्डुओं का सेवन खास तौर पर ठंड में किया जाता है। यह शरीर में गर्माहट बनाए रखने में मददगार है। मेथी की हरी सब्जी का भी ज्यादा से ज्यादा सेवन करना इन दिनों में फायदेमंद होगा। *6. सूखे मेवे -* सूखे मेवों का

শিব কী ?

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  শিব কী ? সত্য ও সুন্দরই শিব। এই পৃথিবীতে সবাই সত্যকে, সুন্দররূপে মঙ্গলকেই চায়। কেউই অমঙ্গল, অসুন্দর, অশিবকে চায়না। ফলে সকলেই এই শিব পূজার অধিকারী। শিব লিঙ্গম কি? “লীনং বা গচ্ছতি, লয়ং বা গচ্ছতি ইতি লিঙ্গম্” যা লয়প্রাপ্ত হয় তাই লিঙ্গ। আবার কারো মতে সর্ববস্তু যে আধারে লয়প্রাপ্ত হয় তাই লিঙ্গম। কিন্তু বৈয়াকরণিকগণের মতে "লিঙ্গতে চিহ্নতে মনেনেতি লিঙ্গম্"। লিঙ্গ শব্দের অর্থ 'প্রতীক' বা 'চিহ্ন'। যার দ্বারা বস্তু চিহ্নিত হয়, সত্য পরিচয় ঘটে তাই-ই লিঙ্গ। অর্থাৎ যার দ্বারা সত্যবিজ্ঞান লাভ হয়, যার সাহায্যে বস্তুর পরিচয় পাওয়া যায় তাকেই বস্তু পরিচয়ের চিহ্ন বা লিঙ্গ বলে। আর এজন্যই দেহ প্রকৃতিতে লীনভাবে অবস্থান করে বলেই চিদ্ জ্যোতিকে বলা হয় লিঙ্গ। ভূমা ব্রহ্মের গুহ্য নাম "শিব" এবং ভূমা ব্রহ্মের পরিচায়ক বলে আত্মজ্যোতির উদ্ভাসনের নাম শিবলিঙ্গ। শিবলিঙ্গের আবির্ভাবঃ মাঘে কৃষ্ণচতুর্দ্দশ্যাম আদিদেবো মহানিশি। শিবলিঙ্গ তয়োদ্ভুতঃ কোটিসূর্য্যসমপ্রভঃ।। মাঘ মাসের কৃষ্ণ পক্ষীয় চতুর্দশী তিথির মহানিশিতে কোটি সূর্য সমপ্রভ তেজোময় আদিদেব (জ্যোতিমূর্তি) লিঙ্গমূর্তিতে আবির্ভূত হন। শ্র